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[ PDF ] Rajiv hindi book class 12 pdf | कक्षा 12 हिंदी राजीव प्रकाशन

 

[ PDF ] Rajiv hindi book class 12 pdf | कक्षा 12 हिंदी राजीव प्रकाशन

                      खंड-क

                        गद्य


माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश द्वारा निर्धारित नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार कक्षा-12 के छात्र छात्राओं के लिए हिंदी विषय की अनिवार्य पाठ्यपुस्तक के रूप में "गद्य" का प्रणयन किया गया है। जिससे कि दोस्तों आप लोग हिंदी गद्य के विगत सौ-डेढ़ सौ वर्षों के विकास से पूर्णरूपेण परिचित हो जाएं।





कक्षा 12 के लिए हिंदी किताब कौन सी अच्छी है?
दोस्तों क्या आप उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद से पढ़ने वाले छात्र हैं, यदि हां, तो आप लोग जरूर सबसे अच्छी हिंदी की किताब की तलाश कर रहे होंगे। जिससे कि आप परीक्षा में अच्छा नंबर प्राप्त कर सकें।
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैं आज आपको बताऊंगा की हिंदी की किताब सबसे अच्छी कौन सी प्रकाशन की होती है। अगर आप लोग जानना चाहते हैं तो पोस्ट को अंत तक जरूर पढीएगा, जिससे आपको पता चल सके किताब के बारे में।
U.P. BOARD के लिए बात किया जाए, तो राजीव प्रकाशन की किताब सबसे अच्छी होती है जोकि कम दाम में ,सरल भाषा में और अच्छी क्वालिटी के साथ प्राप्त हो जाती है। दोस्तों इस किताब को लेने के बाद आप लोगों को बहुत ही अच्छा लगेगा क्योंकि इस किताब में उन सभी बातों को रखा गया है ,जो परीक्षा के अनुरूप होते हैं और आपके अच्छे नंबर को प्राप्त करने में मददगार साबित होते हैं।

इस किताब का 'गद्य' से संबंधित जानकारी के साथ-साथ परीक्षा में आने वाले गद्य का पीडीएफ भी दिया गया है। जिससे कि आप घर बैठे आसानी से तैयारी कर सकें।



   इस किताब के बारे में जानकारियां नीचे दी गई है।
                  

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                             गद्द क्या है?


छन्द, ताल , लय एवं तुकबंदी से मुक्त तथा विचार पूर्ण एवं वाक्यबध्द रचना को 'गद्य' कहते हैं।
गद्य शब्द 'गद्' धातु के साथ 'यत्' प्रत्यय जोड़ने से बनता है। 'गद्' का अर्थ होता है-बोलना,बतलाना या कहना। सामान्यत: दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाली बोलचाल की भाषा में गद्य का ही प्रयोग किया जाता है। गद्य का लक्ष्य विचारों या भाव को सहज, सरल एवं सामान्य भाषा में विशेष प्रयोजन सहित संप्रेषित करना है।

हिंदी साहित्य को दो भागों में बांटा गया है-

1. गद्य साहित्य तथा

2. पद्य ( काव्य ) साहित्य


हिंदी गद्य का स्वरूप और विकास

हिंदी गद्य साहित्य के विकास को निम्नलिखित कार्यक्रमों में विभाजित किया जा सकता है-

1. पूर्व भारतेंदू युग अथवा प्राचीन युग
  - ( 13 वी शताब्दी से 1868 ई. तक )

2. भारतेंदु - युग
  - ( सन् 1868 ई. से 1900 ई. तक )

3. द्विवेदी - युग 
  - ( सन् 1900 ई. से 1922 ई. तक )

4. शुक्ल - युग ( छायावादी युग )
  - ( सन् 1922 ई. से 1938 ई. तक )

5. शुक्लोत्तर युग ( छायावादोत्तर युग )
  - ( सन् 1938 ई. से 1947 ई. तक )

6. स्वतन्त्रयोत्तर युग 
  - ( सन् 1947 ई. से अब तक )

                विषय-सूची ( content )

1. राष्ट्रट्र का स्वरूप।              CLICK NOW
( वासुदेव शरण अग्रवाल )

2. भाग्य और पुरुषार्थथ.         CLICK NOW
( जैनेंद्र कुमार )

3. रॉबर्ट नर्सिंग होम में।          CLICK NOW
( कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर')

4. अशोक के फूल।                CLICK NOW
( डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी)

5. प्रगति के मानदंड।             CLICK NOW
( पं. दीनदयाल उपाध्याय )

6. भाषा और आधुनिकता।    CLICK NOW  
( प्रो. जी. सुंदर रेड्डी )

7. निंदा रस।                      CLICK NOW
( हरिशंकर परसाई )

8. हम और हमारा आदर्श।     CLICK NOW
( डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम )


दोस्तों उपरोक्त दिए गए पीडीएफ केवल गद्य के लिए है, जल्द ही हम पूरा पीडीएफ भी अपलोड कर देंगे।

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